याद आयेंगे तुम्हे हम,एक चुम्बन की तरह
चले जायेंगे जब हम,सावन की तरह।
याद आयेंगे तुम्हे हम,चुम्बन की तरह।।
मुश्किल है शायद,तुम्हारी जिंदगी में लौटना।
बना लेना कोई हम दम,साजन की तरह।।
जनाज़ा जब निकले,तुम्हारे घर की तरफ मेरा।
सज संवर जाना तुम,एक दुल्हन की तरह।।
निकले रहेंगे हाथ,कफ़न से बाहर मेरे।
छू लेना मेरे हाथ,आखरी मिलन की तरह।।
लिखी थी कभी गजले,मैने तुम्हारे लिए।
फैंक देना उनको अब,एक कतरन की तरह।।
लिखे जो गीत रस्तोगी ने,इस सूखे सावन में।
भिगो देना तुम उनको,एक धोबन की तरह।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम