*याद आया घर (गीत)*
याद आया घर (गीत)
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याद आया घर ,अकेले जब रहे परदेस में
( 1 )
गाँव से भागे , मगर वह गाँव को जीते रहे
गंध में हर दिन , शहर की नफरतें पीते रहे
क्रूर लेकिन सोच , देखी आपदा के भेस में
याद आया घर , अकेले जब रहे परदेस में
( 2 )
काम छूटा आस ,अब कल की लगाएँ किस तरह
सोच दौड़ी यह ,कि घर हम लोग जाएँ किस तरह
भागे सड़क पर , इस तरह जिंदगी की रेस में
याद आया घर , अकेले जब रहे परदेस में
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451