याद आदमी की
अब कौन ये सुने जी, फरियाद आदमी की।
विश्वास पर टिकी है, बुनियाद आदमी की।
यह देह तो चली जो,उस लोक की तरफ को-
पर पास रहती हरदम, बस याद आदमी की।
अब कौन ये सुने जी, फरियाद आदमी की।
विश्वास पर टिकी है, बुनियाद आदमी की।
यह देह तो चली जो,उस लोक की तरफ को-
पर पास रहती हरदम, बस याद आदमी की।