यादों से छुटकारा
तू तो चला गया मगर
तेरी याद जायेगी कैसे
सांसे ही उखड़ गई
अब ज़िंदगी चलेगी कैसे
लिखी थी जो किताब हमनें
उसके सारे शब्द मिट गए
कोरा कागज़ रह गई ये ज़िंदगी
मेरे जीवन से जब तुम गए
आदत बन गए थे तुम मेरी
इस आदत को छुड़ाऊं कैसे
सुनता नहीं तू दिल की पुकार
अब और तुझे में बताऊं कैसे
रोग दिल का लगाकर
फिर दिल से चले जाना
है नहीं ये बात अच्छी
अब क्या कहेगा ज़माना
चले जाने के बाद भी
तेरा मेरे सपनों में यूं आना
मुझे और सताने का
लग रहा है ये नया बहाना
छुटकारा चाहता है दिल
अब तेरी यादों से भी
जैसे जीवन से गए हो मेरे
चले जाओ मेरे दिल से भी
काश कभी तेरी यादें भी अब
तेरी तरह दिल से चली जाए
अभी जीने नहीं देती सुकून से मुझे
शायद जीने की नई राह मिल जाए।