“ यादों के सहारे ”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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यादें तुम्हारी तन्हाईओं में साथ देती है !
तेरी हर बातें मेरे दिलके करीब रहती है !!
लगता नहीं कि तू मुझसे दूर रहती हो !
तेरी खुसबू मेरे इर्द- गिर्द रहा करती है !!
दर्द तो होता है सुलगती आग दिल में !
मिलन की राहें देखकर आँखें तरसती है !!
समय के साथ ही मिलना और बिछुड़ना !
जिंदगी हर लय में अपना गीत गाती है !!
तुम्हारे सनिध्य के कुछ क्षण की खुसबू !
मेरे बिराने लम्हों में ताजगी ला देती है !!
तुम्हारे नयनों के अंदाज़ को देख कर ही !
प्रणय भाषाओं को स्वतः जान जाती है !!
मधुर बातें तुम्हारी मुझे प्राणों से प्यारे हैं !
याद आती है कभी कानों में गुनगुनाती है !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत
24.07.2022