“याचक”
मन के भीतर उग आईं अपेक्षाएँ
खरपतवार सी होती हैं
दूसरों के लिए
वस्तुतः
आपका महत्व उतना ही है,
जितनी उनकी आवश्यकता
वे स्वयँ याचक हैं
दाता नहीं
उनकी झोली खाली होती है
©®निकीपुष्कर
मन के भीतर उग आईं अपेक्षाएँ
खरपतवार सी होती हैं
दूसरों के लिए
वस्तुतः
आपका महत्व उतना ही है,
जितनी उनकी आवश्यकता
वे स्वयँ याचक हैं
दाता नहीं
उनकी झोली खाली होती है
©®निकीपुष्कर