Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2021 · 1 min read

यह सिद्धांत अटूट।

हम सबको अलग अलग रास्तों से गुजर कर आना एक ही ठाव।
समस्त जीवों की आत्मा का यही एक स्वभाव।।
बना कर ठहरें हो, नीचे एक ही छांव।
लाख जतन का एक ही, उपाव।
भ्रम बश होकर क्यों, आत्मा को भटकाता है।
बाहर बाहर ही सुख तलाशता फिरता है।
जब मिल जाये सद् गुरु,तो सारे भ्रम जाये टूट।
बिन हरि भजन न होय मुक्ति यह सिद्धांत अटूट।।

Language: Hindi
1 Like · 5 Comments · 258 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"रात का मिलन"
Ekta chitrangini
सांसे केवल आपके जीवित होने की सूचक है जबकि तुम्हारे स्वर्णिम
सांसे केवल आपके जीवित होने की सूचक है जबकि तुम्हारे स्वर्णिम
Rj Anand Prajapati
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
Phool gufran
एक ही नारा एक ही काम,
एक ही नारा एक ही काम,
शेखर सिंह
वक्त के आगे
वक्त के आगे
Sangeeta Beniwal
अधूरे रह गये जो स्वप्न वो पूरे करेंगे
अधूरे रह गये जो स्वप्न वो पूरे करेंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
2804. *पूर्णिका*
2804. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धरती ने जलवाष्पों को आसमान तक संदेश भिजवाया
धरती ने जलवाष्पों को आसमान तक संदेश भिजवाया
ruby kumari
■ नेक सलाह। स्वधर्मियों के लिए। बाक़ी अपने मालिक को याद करें।
■ नेक सलाह। स्वधर्मियों के लिए। बाक़ी अपने मालिक को याद करें।
*प्रणय प्रभात*
अपराह्न का अंशुमान
अपराह्न का अंशुमान
Satish Srijan
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
हर रोज वहीं सब किस्से हैं
हर रोज वहीं सब किस्से हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
दुख है दर्द भी है मगर मरहम नहीं है
दुख है दर्द भी है मगर मरहम नहीं है
कवि दीपक बवेजा
जानते वो भी हैं...!!!
जानते वो भी हैं...!!!
Kanchan Khanna
सबूत ना बचे कुछ
सबूत ना बचे कुछ
Dr. Kishan tandon kranti
ना तो हमारी तरह तुम्हें कोई प्रेमी मिलेगा,
ना तो हमारी तरह तुम्हें कोई प्रेमी मिलेगा,
Dr. Man Mohan Krishna
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
Pramila sultan
नव कोंपलें स्फुटित हुई, पतझड़ के पश्चात
नव कोंपलें स्फुटित हुई, पतझड़ के पश्चात
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
निहारने आसमां को चले थे, पर पत्थरों से हम जा टकराये।
निहारने आसमां को चले थे, पर पत्थरों से हम जा टकराये।
Manisha Manjari
अल्प इस जीवन में
अल्प इस जीवन में
Dr fauzia Naseem shad
बह्र - 1222-1222-122 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन काफ़िया - आ रदीफ़ -है।
बह्र - 1222-1222-122 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन काफ़िया - आ रदीफ़ -है।
Neelam Sharma
🥀*गुरु चरणों की धूल* 🥀
🥀*गुरु चरणों की धूल* 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*नई सदी में चल रहा, शिक्षा का व्यापार (दस दोहे)*
*नई सदी में चल रहा, शिक्षा का व्यापार (दस दोहे)*
Ravi Prakash
जाने क्या छुटा रहा मुझसे
जाने क्या छुटा रहा मुझसे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
हम यहाँ  इतने दूर हैं  मिलन कभी होता नहीं !
हम यहाँ इतने दूर हैं मिलन कभी होता नहीं !
DrLakshman Jha Parimal
"तेरी याद"
Pushpraj Anant
!! मुरली की चाह‌ !!
!! मुरली की चाह‌ !!
Chunnu Lal Gupta
*धन्यवाद*
*धन्यवाद*
Shashi kala vyas
स्त्री जब
स्त्री जब
Rachana
गए हो तुम जब से जाना
गए हो तुम जब से जाना
The_dk_poetry
Loading...