यह सच है कि हिन्दुस्तान खतरे में है
यह सच है कि हिन्दुस्तान खतरे में है
यह भी सच है कि संविधान खतरे में है
मजहब भी कहने को लगा भगवान खतरे में है
सच पूंछो मुझे तो बताऊँ शैतान खतरे में है
चक्षु खोले देख रहा हूँ डगर डगर उस हसरत को
जुल्मी प्रदूषण ना करो मिट्टी का परिधान खतरे में है
विषैली वायु से दम तोड़े मेरा आसमान खतरे में है
तभी तो कह रहा हूँ प्रिय, मेरी जान खतरे में है
हाँ, यह सच है कि इंसान खतरे में है
मत पूंछो मुझे कि खतरा है कैसे?
मेरी जबान खतरे में है
ऐ किसी की दुकान ख़तरे में है
किसी का मकान खतरे में है
किसी का मेहमान खतरे में है
तो किसी का राम तो किसी का रहमान में है
धरती पर जुल्म ढहाये हो,माटी हमारी कह रहीं है
मेरा पुत्र किसान खतरे में है
वतन का मान खतरे में है
इतना ही नही,मेरा वर्तमान खतरे में है
कवि की इक पहचान खतरे में है
~ जितेन्द्र कुमार