यह सखियों की खीर
चंचल छंद
यह सखियों की खीर।
मन की हरती पीर।
सुंदर छवि घायल करे।
चल नैनन के तीर।
यह जन्मों का लेख।
अजब भाग्य की रेख।
मृगनयनी घायल हुई।
जीव बाँकुरों देख।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय, सीतापुर।
मौलिक रचना