यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।।
नवगीत।यह पहली तस्वीर तुम्हारी।।
इन पलकों को छावों में
उत्प्रेरित मन भावों में
उभरते गये फूल पर फूल
पर सबको जाता हूँ भूल
जो लगती है दिल को प्यारी ।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।। 1।।
सिहर गया अंतर्मन मेरा
जब नयनों को तुम पर फेरा
जहां कही टिकती है पलकें
बस तेरी तस्वीर ही झलके
जिससे जुडी है आशा सारी ।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।। 2।।
कितने कोमल भाव उभरते
निर्मल निर्मित भाव सवरते
उर विदीर्ण कर जाते चोट
अहसनीय तब हुई कचोट
प्रबल हुआ भाव संचारी।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।। 3।।
यही सोच उर मिले सफलता
मिल जाये अतिसीघ्र निकटता
विफल न हो यह विकल वेदना
खुल जाये यह कही भेद न
जिसकी करता पहरेदारी ।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।। 4।।
चाहा हूं जब परिचय पाना
तेरा बिल्कुल चुप हो जाना
अपनी पसंद में बना सयाना
बाहों में लेकर सो जाना
कितनी ऐसी रात गुजारी ।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।। 5।।
पुष्पो सा तुम खिल जाते हो
साँसों में तुम मिल जाते हो
आँखों से न ओझल होना
न हृदय की आस भिगोना
हमने सबकी आस बिसारी ।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।। 6।।
अंधकार जब होने लगता
सूरज भी जब सोकर जगता
मैं भी हो जाता तैयार
जगकर देता रात गुजार
सो जाती है दुनिया सारी ।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।। 7।।
जिसे निरख मैं समय बिताता
छणभर भी अब नही गवाता
जब से नजर पड़ी रंगों पर
तब से दृग उलझे अंगों पर
क्या माया की जाल पसारी ।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।। 8।।
अंगरहित है बना शरीर
मन व्याकुल उर हुआ अधीर
कर दूँ तुमको हृदय अर्पित
तुम अभाओं से नवनिर्मित
ईश्वर ने की नही बेगारी ।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।। 9।।
जब हूं अपनी पलक झपाता
हलचल में धीरज खो जाता
जब हूं अपनी पलक उठाता
दुनिया भर से धोखा पाता
अब धोखे की अंतिम बारी ।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।। 10।।
तुम हो एक अनोखी रचना
मेरे मन मंदिर में बसना
फैला उर सन्ताप हरूँ मैं
निशिदिन वार्तालाप करू मैं
तुम पर रखूं पहरेदारी ।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।। 11।।
जल बिन सूना यह संसार
पथिक बिना ज्यो पंथ बेकार
तर्क बिना नीरस ज्यो बात
तुम बिन सूनी वैसी गात
मै ही हूं तेरा अधिकारी ।
यह पहली तस्वीर तुम्हारी ।।12।।
© राम केश मिश्र