यह जो मेरी वीरान सी आंखें है..
यह जो मेरी वीरान सी आंखें है..
इनके पीछे कई नदियां कैद में है,
अभी खुल के आया नहीं तेरे सामने
पीछे मेरे कई आज़ादियां कैद में है !
कवि दीपक सरल
यह जो मेरी वीरान सी आंखें है..
इनके पीछे कई नदियां कैद में है,
अभी खुल के आया नहीं तेरे सामने
पीछे मेरे कई आज़ादियां कैद में है !
कवि दीपक सरल