यह कैसे रिश्ते ?
यह कैसे रिश्ते
चाहे कुछ भी कहो
होते हैं अजब गजब
लेकिन बड़े प्यारे
यह कैसे रिश्ते
क्यों लगे बेगाने
अपने नहीं हुए अपने
दिल के तो थे बस सपने
यह कैसे रिश्ते
अपने आप बन जाते नहीं
फिर टूटते क्यों यूँही
पता भी न चलता कभी
यह कैसे रिश्ते
चाहो या ना चाहो
बन तो जाते हैं पक्का
क्यों नहीं निभा सकते सौ टक्का
यह कैसे रिश्ते
क्यों इतने सस्ते
खून के या हो दिल के
लगते थे सब प्यारे
यह कैसे रिश्ते
कुछ बना सकते हैं
कुछ जन्म से चीपक जाते
निभाने होते हैं जिंदगीभर