यह कहना आसान है।
सब कुछ कह देना आसान होता है। मूर्त रुप देना बहुत कठिन होता है। लगता नही कुछ भी कह देने से। बड़ी से बड़ी बात समझाने से।हो जाता है सब कुछ,एक गलती दोहराने से।समझ, समझ का फेर होता है।कब कौनसी बात किस के हृदय को छू जाती है। वहीं जिंदगी के लिए सबक बन जाती है। कुछ बातें ही अन्तःकरण में जा कर बैठ जाती है। और किसी की जिंदगी छीन लेती है, और किसी की जिंदगी बना देती है।