यह उँचे लोगो की महफ़िल हैं ।
यह उँचे लोगो की महफ़िल हैं ।
मुझे क्यो बुलाते हो।।
बात तो एक ही हैं बार बार क्यो जताते हौ ।
मैं भी कोई फरिश्ता तो नही,
क्यों दूरियाँ दिलो के दरम्यान बनाते हो।
कहते हो कम्जर्फ मुझको।
तुम कोनसा आसमाँ के हाथ लगाते हो।
दूसरो को हद में रहने की हिदायत देते हो।
और खुद का घर ही काँच का बनाते हो।।
अश्विनी