यह अपना रिश्ता कभी होगा नहीं
शीर्षक – यह अपना रिश्ता कभी होगा नहीं
———————————————–
यह अपना रिश्ता, कभी होगा नहीं।
तू किसी और को, अपना साथी बना ले।।
तेरी उम्मीदें मुझसे ,पूरी होगी नहीं।
तू किसी और को, अपना ख्वाब बना ले।।
यह अपना रिश्ता————————।।
कैसे मैं उनको भूला दूँ , जो कल मेरे साथ थे।
कैसे तोड़ दूँ उनसे रिश्ता, जो मेरे प्यारे दोस्त थे।।
ऐसी वफ़ा और यारी, कभी तेरी होगी नहीं,
तू किसी और को, अपनी मंजिल बना लें।।
यह अपना रिश्ता————————-।।
कर्ज उनका है मुझ पर, जन्म जिन्होंने दिया है।
हक उनका है मुझ पर, प्यार जिन्होंने दिया है।।
ऐसी खातिर और इज्जत, तुझसे कभी होगी नहीं।
तू किसी और को, अपना नसीब बना ले।।
यह अपना रिश्ता———————-।।
ख्वाब उनके भी तो, मुझको करने है पूरे।
जिनका कोई घर नहीं, जिनके तन है अधूरे।।
मेरे इस काम में , कभी तुमसे मदद होगी नहीं।
तू किसी और को, अपना हमदर्द बना ले।।
यह अपना रिश्ता———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)