यही है भीम की महिमा
कि जिसने तोड़ जंजीरें, हमें पानी पिलाया है,
दिला के हक यहाँ सबका, हमें जीना सिखाया है।
उसे यूँ भूलकर ना जी सकोगे यार तुम सुन लो,
न भूलो भीम को यारों, जो इस काबिल बनाया है।
जो लड़कर भी जमाने से, न हारे भीम है सच्चा,
मिटा दे छूत का टिका,वही इंसान है पक्का।
न जाने आज भी क्यों भीम को जाने नहीं हो तुम,
यही है भीम की महिमा, बने हो शेर का बच्चा।
न पूजो भीम को यारों, कभी चाहा नही ऐसा,
यही अरदास है मेरी, बनो सब भीम के जैसा।
तू पढ़कर जान लो अधिकार बस इतना ही चाहे वो
यही भीमा की चाहत है,सुने हो यार तुम जैसा।
✍️जटाशंकर”जटा”
14/04/2022