यही समय है!
यही समय है!
यही समय है खुद को फिर से सम्हाल लेने का।
यही समय है अपनी हर भूल को सुधार लेने का।
मन में अगर तेरे तनाव की आंधियां चल रही हैं,…..(2)
यही समय है खुद को बाहर निकाल लेने का।
यही समय है खुद को फिर से सम्हाल लेने का।
डर कर किसी ने कभी कमाल किया है क्या?……..(2)
तनाव में ढल कर किसी ने जीवन सवार लिया है क्या?
इस डर ने जो तेरे शरीर का हाल किया है,
यही समय है खुद को फिर से निखार लेने का।
यही समय है खुद को फिर से सम्हाल लेने का।
यही समय है अपनी हर भूल को सुधार लेने का।
✍ सारांश सिंह ‘प्रियम’