यही तो जिंदगी है
यही तो जिंदगी है, यही तो दिल्लगी है।
यही तो सादगी है,यही तो बंदगी है।।
गम में भी मुस्कराना, दर्द में भी हंसना।
यही तो जिंदगी है————————।।
गर कभी साथ अपनों का, छूट जाये यहाँ।
जाना पड़े मुझको कभी, तुमसे दूर वहाँ।।
होकर तन्हा तू कभी भी, नहीं रोना।
तन्हाई में भी खुश, तू यहाँ रहना।।
यही तो जिंदगी है——————–।।
हर खुशी मुझसे मिले, यह जरुरी नहीं।
ख्वाब मुकम्मल हो हर, यह जरुरी नहीं।।
लेकिन दिल तू अपना, छोटा नहीं करना।
काँटों में भी फूल जैसे, तू खिलते रहना।।
यही तो जिंदगी है———————–।।
तेरी कोई खबर बुरी, मुझको नहीं मिले।
तेरा चेहरा उदास कभी, मुझको मिले नहीं।।
अपने नसीब को कभी, तू दोष नहीं देना।
संघर्ष जिंदगी से हमेशा, तू करते रहना।।
यही तो जिंदगी है———————–।।
धूप- छाँव की तरह, यह सुख- दुःख है।
आज अंधेरा है तो, कल नयी सुबह है।।
तू निराश जिंदगी से, कभी नहीं होना।
इन अभावों में ही, आबाद होकर दिखाना।।
यही तो जिंदगी है————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)