यहां पर प्यार न कर!
यहां पर प्यार करने की कोई वस्तु नहीं है।
फिर भी प्यार करता रहता है।
यहां पर सब कुछ मिथ्या है।
फिर भी उन पर मरता रहता है।
करना है प्यार तो ईश्वर से कर।तो भव सागर तर जायेगा।
आत्मा को शांति मिलेगी, और आवागमन छूट जायेगा।
यहां पर तू योग करने आया है,भोग करने नही आया है।
राही है राही बन कर जीले, जिन्हें तू रिश्ते समझता है।
वे पल दो पल के साथी है।उनका साथ कब छूट जायेगा।
उनसे न गांठ बांध,बस इतना ही समझले।
राह चलते चलते!