यहाँ प्रयाग न गंगासागर,
यहाँ प्रयाग न गंगासागर,
यहाँ न रामेश्वर, काशी।
कहाँ यही है तीर्थ हमारा,
चितोड़ चले बन संन्यासी।
केसरिया बाना को पहने,
मस्तक पर तिलक लगाये।
एकलिंग के गूंजे जय कारे ,
दिलेर वीर-गति लेने निकले
अनिल चौबिसा चित्तौड़गढ़
9829246588