*यहाँ जो दिख रहा है वह, सभी श्रंगार दो दिन का (मुक्तक)*
यहाँ जो दिख रहा है वह, सभी श्रंगार दो दिन का (मुक्तक)
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ये कोठी-बंगला ये कार, ये बाजार दो दिन का
चमकता नौलखा सोने का, सुंदर हार दो दिन का
न इतराओ यहाँ दौलत-जवानी-रूप क्षणभंगुर
यहाँ जो दिख रहा है वह, सभी श्रंगार दो दिन का
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451