यशोदा माँ
यशोदा माँ
——————– विमला आज सुबह से ही बहुत उदास है किसी कार्य में उसका मन नहीं लग रहा था किसी प्रकार उसने अपने घरेलू कार्य इसी मनःस्थिति में निबटाये फिर एक पत्रिका लेकर पढ़ने बैठ गई l उसका मन पढ़ने में भी नहीं लग रहा था l रह-रह कर उसका ध्यान उचट जा रहा था l फिर उसने आज का अखबार उठा लिया जिसमें पहले ही पन्ने पर वह मनहूस खबर छपी थी जिसे पढ़कर वह इतनी बेचैन हो उठी थी l एक बार फिर से उस समाचार को पढ़ने लगी l ओह कितने कठोर दिल के लोग होंगे l समाचार का शीर्षक ही दिल दहलाने वाला था -” कलयुगी माता ने ममता को शर्मसार किया”| समाचार बस वही– सड़क के किनारे एक नवजात पाई गई उसके ऊपर चीटियां चढ़कर नोच रही थीं एक कुत्ता उसे घसीट कर ले जा रहा था जिसे राहगीरों ने देख लिया तो कुत्ते को भगा दिया तथा पुलिस को सूचना दी गई l शायद अंधेरे में उसे सड़क के किनारे किसीने फेंक दिया हो l पुलिस आकर उसे उठा ले गई और सदर अस्पताल में भर्ती करवाया जहां बच्चे की चिकित्सा चल रही है l विमला सोच रही है क्या ऐसी भी मां होती है जो नौ माह तक अपने पेट में पालने के बाद अपने ही बच्चे को सड़क किनारे मरने के लिए छोड़ दे l नहीं-नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता | विमला का मन यह मानने को बिल्कुल ही तैयार नहीं था l क्या पता मां को पता भी नहीं हो लड़की होने के कारण बच्ची के पिता या अन्य घर वालों ने उसे फेंका हो;परंतु बदनाम तो मां ही होती है l तभी दरवाजे की घंटी बजी और वह अपनी सोच से बाहर आई l दरवाजा खोला तो बाहर मालिनी खड़ी थी उसकी पुरानी सखी; साथ में एक किशोरी भी थी बहुत प्यारी सी l विमला -“अरे मालिनी तुम, आओ-आओ आज बड़े दिनों के बाद और यह “…….. कह विमला ने उस किशोरी को प्रश्नवाशक दृष्टि से देखा और मालिनी को गले से लगा लिया l मालिनी-” विमला यह प्रिया है तुमने पहचाना नहीं; प्रिया मासी माँ को प्रणाम करो”| विमला- ” अरे प्रिया इतनी बड़ी हो गई, किस वर्ग में पढ़ती हो बिटिया” कह विमला ने उसे भी गले लगा लिया और उसके माथे पर एक चुंबनजड़ दिया l प्रिया विमला को झुककर चरण-स्पर्श करती हुई बोली – ” जी मासी माँअभी-अभी मैट्रिक पास किया है l मालिनी – “और जानती है विमला जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया है प्रिया ने”| विमला- ” अरे वाह बिटिया तुमने तो माता-पिता के साथ अपने जिले का भी नाम रोशन कर दिया”| मालिनि – ” सही कहा तुमने विमला और आज इसका नामांकन यहाँ के संत जेवियर कॉलेज में हो गया है l मैं आज यहां तुम्हारे पास तुम्हें एक जिम्मेवारी सौंपने आई हूं”| विमला -” मालिनी तुम बिलकुल भी चिंता मत करो मैं इसकी पूरी जिम्मेवारी लेती हूं l पहले तुम लोग खाना खा कर आराम करो l मैं प्रिया की पूरी व्यवस्था कर दूंगी कोई परेशानी नहीं होगी इसे l वैसे भी जब से बच्चे पढ़ने बाहर गए हैं घऱ सूना-सूना लगता है अब प्रिया के रहने से घर में रौनक हो जायेगी”| मालिनी – ” विमला इसके रहने की व्यवस्था तो हॉस्टल में हो गई है l मैं तो इसे तुम्हारे पास ही रखना चाह रही थी परन्तु जिस हॉस्पिटल में यह रहेगी वहां मेडिकल की कोचिंग भी करवाते हैं तो कोचिंग के लिए इसे कहीं बाहर नहीं जाना पड़ेगा इसलिए वहीं रखा l कमरा भी मिल गया है, उन्होंने एक स्थानीय अभिभावक के लिए पूछा तो मैंने तुम्हारा नाम दे दिया है बिना तुमसे पूछे l अब तुम्हें मेरे साथ चल कर वहां अपने हस्ताक्षरयुक्त एक फोटो देने हैं जिससे तुम्हारा परिचय-पत्र बनेगा lऔर तुम जब भी प्रिया से मिलना चाहोगी तो मिल सकोगी l साथ ही यदि प्रिया तुम्हारे पास आना चाहे तो वह लोग भी तुम से संपर्क कर आश्वस्त हो सकें कि यह तुम्हारे पास ही आ रही है या कहीं और”| विमला – “अच्छा वे इतनी सावधनी रखते हैं,सच में बहुत ही अच्छा हॉस्टल है l तब तो कोई बात नहीं हम छुट्टियों में ही मिला करेंगे”| बातचीत के साथ ही विमला ने जल्दी-जल्दी खाने की तैयारी किया और तीनों ने भोजन किया फिर मालिनी और प्रिया को कमरे में आराम करने के लिए छोड़ विमला रसोई को व्यवस्थित करने लगी l रसोइ की सफाई करते-करते ही विमला विचारों में गुम हो गई और आज से सोलह वर्ष पीछे चली गई जब इसी प्रकार अचानक एक दिन मालिनी उसके पास आई थी, उसकी गोद में यही प्रिया थी बस कुछ दिन की; शरीर पर कई तरह की दवाएं लगी हुई थीं और शरीर पट्टियों में जकड़ा हुआ था l उस दिन मालिनि के साथ उसके पति भी थे l विमला आश्चर्य चकित सी – ” मालिनी ये क्या ……” उसके वाक्य पूरा करने के पहले ही मालिनी बोल पड़ी -” विमला जीजा जी की तो यहां के बड़े-बड़े डॉक्टर से बहुत पहचान है; इस बच्ची को हमारे जिले से यहाँ के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में चिकित्सा के लिए भेजा गया है जीजा जी से मेरी सहायता करने के लिए बोलो ना l उस समय मालिनी और उसके पति इतनी हड़बड़ी में थे कि वह घर के अंदर भी आने को तैयार नहीं थे l विमला के पति शीघ्रता से निकल कर उनके साथ चले गए l विमला को जाने से उन्होंने मना कर दिया lउन्होंने कहा कि तुम घर में ही रहो तुम्हें जाने की आवश्यकता नहीं मैं जा रहा हूं ना l लगभग 4 घंटे लगे उन्हें वापस आने में,बताया बच्ची की स्थिति बहुत ही नाजुक है परन्तु चिकित्सा की उचित व्यवस्था हो गई है;आईसीयू में है l चलो खाना लेकर चलते हैं, एक जन वहां रुकेंगे और एक को घर वापस ले आते हैं l बच्ची के सम्बन्ध में विमला के पति ने और कुछ भी नहीं बताया; इतना कहा – “तुम्हारी सखी सच ही महान है” l मालिनी बच्चे को लेकर लगभग एक माह तक रही उसके पति तो अगले दिन वापस चले गए थे l वे बीच-बीच में आते रहते थे यहां की पूरी व्यवस्था मालिनी एवं उसके पति के हाथ में थी l उन्होंने अपने दायित्वों का पूरा निर्वहन किया l एक माह बाद बच्ची को अस्पताल से छुट्टी मिली परंतु ढेर सारी दवा एवं निर्देश के साथ l प्रत्येक माह बच्ची को जाँच के लिए लाना भी था l मालिनी ने बच्ची के विषय में संपूर्ण जानकारी विमला को दिया l मालिनी ने बताया –एक दिन प्रातः कोलाहल सुनकर मालिनी अपने घर से बाहर आई तो देखा एक स्थान पर बहुत ही भीड़ एकत्रित है l वहां जाकर देखती है एक बच्चा झाड़ियों के बीच में एक कपड़े में लिपटा पड़ा है और आसपास चीटों की कतार लगी है l एकत्रित भीड़ से पूछने पर कुछ विशेष नहीं पता चला l किसी को कुछ पता नहीं यह बच्चा कब और किसके द्वारा फेंका गया l पास ही रहने वाले रमेसर काका ने बताया कि वह अपने दालान में ही सोए थे l आधी रात को कुत्ते के भौंकने से उनकी नीँद खुल गई तो उन्होंने देखा कोई कार कुछ क्षण के लिए रुकी थी फिर तुरंत ही चली गई; अंधेरे की वजह से और कुछ नहीं देख पाए l सभी आपस में सिर्फ चर्चा कर रहे थे, कोई बच्चे को छूने की हिम्मत नहीं कर रहा था l मालिनी ने आगे बढ़ कर बच्चे को उठाया और उस कपड़े को निकाल कर फेंका जिसमें चीटों ने जगह-जगह छेद कर दिया था और पासके स्वास्थ्य केंद्र में चली गई l वहां की नर्स दीदी ने उसे देखकर कहा इसे लेकर स्वास्थ्य केंद्र चलते हैं वहां डॉक्टर साहब होंगे वे इसकी अच्छी तरह से चिकित्सा करेंगे l नर्स दीदी ने जितना सम्भव हो सका चींटों को हटाया और कुछ दवा भी लगा दी l अब तक मालिनी के पति भी वहां पहुंच चुके थे लोगों से जानकारी पाकर l वे सभी वहां से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे l वहां पर डॉक्टर ने बच्चे की चिकित्सा की और मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के लिए अग्रेषित कर दिया; जिसके फलस्वरूप मालिनी अपने पति और बच्ची के साथ यहां आई थी l तभी विमला ने पूछा था अब इस बच्ची का क्या होगा l मालिनी ने एक पल की भी देरी नहीं की थी कहने में – “यह मेरी चौथी सन्तान और तीसरी बेटी के रूप में पलेगी; इसे एक बार गोद में लेने के बाद मै छोड़ तो नहीं सकती ना”|वही बच्ची आज जिला टॉपर प्रिया के रूप में उसके सामने खड़ी थी l “मासी माँ क्या कर रही हैं कब से अकेली; मैं आपकी सहायता करूं”| आवाज सुनकर चौंककर विमला वापस वर्तमान में आ गई l देखा तो प्रिया उसके पास खड़ी मुस्कुरा रही है l कितनी प्यारी मुस्कान है और कितनी सुंदर भी है यह, ऐसा लगता है देव लोक से कोई देवी धरती पर आ गई है l “अरे बिटिया अभी से तुम रसोई का काम भी करने लगी” विमला ने उसे स्नेह से देखा l प्रिया- ” जी मासी माँ मैं खाना भी बना लेती हूं और चाय भी l मुझे लगता है आप चाय बनाने जा रही थीं; लेकिन आप सोच क्या रही थीं आप बहुत चिंतित लग रही हैं”| विमला – “अरे कुछ नहीं बिटिया, चलो अच्छा तुम ही चाय बनाओ फिर चलते हैं तुम्हारे हॉस्टल” कह कर विमला प्रिया को चाय का सारा सामान दिखाकर मालिनी के पास आ गई l मालिनी बैठकर पेपर देख रही थी; उसकी निगाहें भी पहले पन्ने के उसी समाचार पर टिकी थीं l क्या देख रही हो मालिनी इस समाचार को; इसी को देख मैं आज सुबह से परेशान थी परंतु अब नहीं हूं l मैं इस बच्ची की माँ बनूँगी l यह मेरी प्रिया होगी और मैं इसकी यशोदा माँ l मालिनी ने मुस्कराकर विमला को गले लगा लिया l
“माँ मासी माँ चाय” | दोनों की निगाहें एक साथ दरवाजे की ओर उठीं जहाँ प्रिया मुस्कुराती हुई चाय की ट्रे लिए खड़ी थी l