यदि मैं अंधभक्त हूँ तो, तू भी अंधभक्त है
(शेर)- तू नहीं सभी का मालिक, कि हर कोई तेरा गुलाम हो।
सबको है आजादी सपनें चुनने की, यह तुमको मालूम हो।।
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यदि मैं अंधभक्त हूँ तो, तू भी अंधभक्त है।
मेरी तरह तू भी तो, किसी का अंधभक्त है।।
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो ————————।।
जरूरी नहीं, हम दोनों की पसंद- इच्छा एक हो।
जरूरी नहीं, हम दोनों के सपनें यहाँ एक हो।।
मेरी भक्ति- मेरे आदर्श से, तुमको क्यों दिक्कत है।
मेरी तरह तू भी तो, किसी का अंधभक्त है।।
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो———————–।।
सभी को अपना गुलाम, क्यों तू समझता है।
मदद के बदले क्यों किसी को, तू लुटता है।।
क्यों तेरी आत्मा- नियत, नीति यह गलत है।
मेरी तरह तू भी तो, किसी का अंधभक्त है।।
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो———————।।
आजादी है सभी को, अपना ईश्वर- पथ चुनने की।
अपने देवी- देवताओं की, जय जयकार करने की।।
तेरे विरोधियों पर क्यों, तेरे जुल्म यूँ सख्त है।
मेरी तरह तू भी तो, किसी का अंधभक्त है।।
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)