यदि भविष्य की चिंता है तो वर्तमान को सुधार लो
यदि भविष्य की चिंता है तो वर्तमान को सुधार लो
यदि अपनी चिंता है तो अपनों को स्वीकार लो
कर्मों से मुक्ति संभव नहीं है आलस्य को त्याग दो
पहचान अपने व्यक्तित्व को समय पर स्वीकार लो
_ सोनम पुनीत दुबे