#यदि टूटता दिल्ली का द्वंद
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★ #यदि टूटता दिल्ली का द्वंद ★
भिक्षुक मांगते कानून पाँच
नहीं जानते सत्ता का नय
दो पग आगे पीछे चार
आज यही नवनर्तन की लय
दारासिंह सड़ता कारा में
तिवारी कमलेश हुआ हलाल
कब तक बचेगा नरसिंहानंद
कब तक ओढ़ेगा सिंहअयाल
नहीं टूटती शपथ ग़ोरी की
यदि टूटता दिल्ली का द्वंद
गाथा गाता समय वीरों की
चंदबरदाई कहता और ही छंद
राम का मंदिर विवादित ढांचा
आस्था के संगी झूठ और ढोंग
मलेच्छ मनुज हैं एक समान
भारतभू लगा पाखंड का रोग
पदचिह्न हों वीर शिवा के
यदि साथी राणा का भाला हो
लक्ष्य से भटके लौटें रण में
आर्यावर्त समस्त उजाला हो
तजी अजुध्या चाहे राम ने
नहीं तजे धनुष और बाण
कांधे लखन के चर्म का थैला
कुरीअस्त्रशस्त्र धर्मप्रमाण
चतुर्युगी के महानायक कृष्ण
गीतागायक मनुजतासोपान
आज का अर्जुन हुआ मूढ़
राधे राधे कह करता अपमान
धर्मध्वजा फहराने हित
पूत बनो दशमेश पिता के
कभी धर्म पर आन पड़े तो
मत चूको प्रह्लाद बनो
नहीं सरल रामकृष्ण होना तभी
पंडित चंद्रशेखर आज़ाद बनो
कृतघ्नता यदि ले घेर कहीं
नवधारा की खाद बनो
विचार नया नवीन वाद बनो
भूले नहीं वैरी ऐसा स्वाद बनो
धर्मकुलद्रोही रह जाएं निपूते
भारत भारतीमन आह्लाद बनो
भारत भारतीमन आह्लाद बनो !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२