Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Aug 2023 · 3 min read

यज्ञोपवीत

आज प्रखर का यज्ञोपवीत है, वहीं प्रखर जिसको अंग्रेजी शिक्षा ने दिमाग से अंग्रेज़ व शरीर से भारतीय बना दिया। शायद इसीलिए वह उपनयन संस्कार नहीं कराना चाहता था परन्तु पिता पंडित उपेंद्रनाथ तिवारी के आगे उसकी कुछ न चली। चार समाज मे बड़ी इज्जत है तिवारी जी की। बड़ा गर्व है इन्हे स्वयं के ब्राह्मण होने पर और हो भी क्यों ना? पूरे २० बिस्वा और ६ घर के कान्यकुब्ज ब्राह्मण जो ठहरे।परन्तु प्रखर के लिए इन सबका कोई महत्व नहीं है लेकिन आज जब प्रखर ने जनेऊ धारण किया एकाएक उसे सनातन संस्कृति के बारे में जानने की अती तीव्र जिज्ञासा हुई। यह जिज्ञासा उसे ब्राह्मण द्वारा बताए गए जनेऊ के महत्व से उत्पन्न हुई। अभी तक प्रखर ब्रह्मसूत्र को मात्र एक धागा समझता था।परंतु जब ब्राह्मण ने प्रखर से यह कहा कि जनेऊ मे तीन सूत्र- ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक; तीन ऋण- देवऋण, पित्र ऋण, और ऋषिऋण; तीन गुण – सत्व, रज, तम का प्रतीक है। यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है; तीन आश्रमों का प्रतीक है। इसके नौ तार एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वार मिलकर कुल नौ होते है। इसकी पांच गांठे ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम ,मोक्ष तथा पांच यज्ञो का, पांच ज्ञानेन्द्रियो व पांच कर्मो का प्रतीक है। ब्राह्मण ने प्रखर को शास्त्र का ज्ञान देते हुए कहा -” आदित्या वसवो रुद्रा वायुरग्निश्च धररयाट । विप्रस्य दक्षिणे कर्णे नित्य तिष्ठन्ति देवतः ।।”
तथा यज्ञोपवीत के अनेक वैज्ञानिक महत्व भी ब्राह्मण द्वारा बताए गए। इन सभी बातों को सुनकर प्रखर के में में सनातन संस्कृति को जानने कि ईच्छा उत्पन्न हुई। जब उसने सनातन संस्कृति के बारे में जानना शुरू किया तब उसने पाया कि सनातन ही सत्य है। समस्त ज्ञान, विज्ञान सनातन के अंदर ही समाहित है । तब वह पिता पंडित उपेंद्रनाथ तिवारी से आज्ञा लेकर पुराण प्रसिद्ध, मोक्षदायिनी, आनंदवन, अध्ययन नगरी, शिवनगरी काशी जी मे सनातन संस्कृति के बारे में अध्ययन के लिए चला। काशी जी मे उसे ऐसे महात्मा व्यक्ति का संग मिला जिन्हें देखकर वैराग्य को भी वैराग्य हो जाए, क्या दीपक सूर्य को रोशनी देगा? उनका वर्णन नहीं किया जा सकता । लगता है आज ईश्वर सब प्रकार से प्रखर पर प्रसन्न है क्योंकि गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है – ” बिनु हरि कृपा मिलही नहीं संता” प्रखर ने उन्हें सब प्रकार से अपना गुरु मान लिया। उन्ही की देख रेख मे प्रखर ने चार वेद, चार उपवेद, छह: वेदांग, छह: शास्त्र, अठारह पुराण, एक सौ आठ उपनिषद्, महाभारत, श्री रामचरितमानस, वाल्मीकि रामायण, श्रीम्भगवद्गीता, मनुस्मृति, वशिष्ठ स्मृति, इत्यादि अन्यान्य ग्रंथो का अध्ययन किया। उसने सोलह विद्या और चौसठ कलाओ के बारे में भी जाना। इन सबको पढ़ने के बाद उसे आज तक पढ़ी हुई अपनी अंग्रेजी शिक्षा व्यर्थ लगने लगी। अब उसकी विचारधारा बदल चुकी है। वह गुरूचरनो को प्रणाम करके पुनः पितृ गृह लौटा । अब वह ब्राह्मण उचित कर्म करके उसी से अपनी आजीविका चलाने लगा ।
” शमो दमस्तपः शौच क्षान्तिरार्जवमेव च ।
ज्ञानं विज्ञानमास्तिकयम् ब्रह्मकर्म स्वभावजम ॥”
वहीं प्रखर जो कुछ समय पहले तक कर्मकांडी ब्राह्मण को ढोंगी, पाखंडी बतलाता था। आज वही स्वयं त्रिकाल संध्या करता है वह दूसरे ब्राह्मणों का भी अत्यंत आदर करता है ।
परंतु मेरा उद्देश्य किसी धर्मग्रंथ की बातो की बाल की खाल उखाड़ना नहीं है अपितु लोगों को सनातन धर्म के प्रति जाग्रत करना तथा समाज के सभी लोगों को अपने कर्म के प्रति कर्तव्य निष्ठ बनाना है ।समाज के प्रति वर्ण को अपने कर्म पूर्ण निष्ठा के साथ करनी चाहिए क्योंकि इसी में उनका व संपूर्ण समाज का हित है ।।

Language: Hindi
224 Views

You may also like these posts

एक अनार, सौ बीमार
एक अनार, सौ बीमार
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
हररोज लिखना चाहती हूँ ,
हररोज लिखना चाहती हूँ ,
Manisha Wandhare
सदैव खुश रहने की आदत
सदैव खुश रहने की आदत
Paras Nath Jha
वो सुनाते थे मोहब्बत की कहानी मुझको।
वो सुनाते थे मोहब्बत की कहानी मुझको।
Phool gufran
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
आनंद प्रवीण
মা কালীকে নিয়ে লেখা গান
মা কালীকে নিয়ে লেখা গান
Arghyadeep Chakraborty
पहले प्यार का पहला खत
पहले प्यार का पहला खत
dr rajmati Surana
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
काश कही ऐसा होता
काश कही ऐसा होता
Swami Ganganiya
कुंडलियां
कुंडलियां
seema sharma
स्वार्थ से परे
स्वार्थ से परे
Seema gupta,Alwar
बेज़ार होकर चले थे
बेज़ार होकर चले थे
Chitra Bisht
.
.
Shweta Soni
हनुमान वंदना/त्रिभंगी छंद
हनुमान वंदना/त्रिभंगी छंद
guru saxena
मुक्तक
मुक्तक
Yogmaya Sharma
.......रूठे अल्फाज...
.......रूठे अल्फाज...
Naushaba Suriya
" इरादा था "
Dr. Kishan tandon kranti
तुम खुशी देखते हों, मैं ग़म देखता हूं
तुम खुशी देखते हों, मैं ग़म देखता हूं
Keshav kishor Kumar
ग्वालियर, ग्वालियर, तू कला का शहर,तेरी भव्यता का कोई सानी नह
ग्वालियर, ग्वालियर, तू कला का शहर,तेरी भव्यता का कोई सानी नह
पूर्वार्थ
नित करा मानुसेक हित,
नित करा मानुसेक हित,
ruby kumari
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
धनतेरस और रात दिवाली🙏🎆🎇
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
परिवार के बीच तारों सा टूट रहा हूं मैं।
परिवार के बीच तारों सा टूट रहा हूं मैं।
राज वीर शर्मा
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
તમે કોઈના માટે ગમે તેટલું સારું કર્યું હશે,
તમે કોઈના માટે ગમે તેટલું સારું કર્યું હશે,
Iamalpu9492
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
संपूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों के द्वारा किये जाते हैं तथापि
संपूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों के द्वारा किये जाते हैं तथापि
Raju Gajbhiye
बापूजी
बापूजी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*श्री जगन्नाथ रस कथा*
*श्री जगन्नाथ रस कथा*
Ravi Prakash
जानते    हैं   कि    टूट     जाएगा ,
जानते हैं कि टूट जाएगा ,
Dr fauzia Naseem shad
4100.💐 *पूर्णिका* 💐
4100.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...