यक्ष प्रश्न
साहित
✍️_यक्ष प्रश्न?कब आओगे?
हमेशा की तरह
इंतजार करती निगाहें
और मां का यक्ष प्रश्न
कब आ रहे हो …
मेरा भी हमेशा की तरह
एक ही जवाब,दिलासा
आ रहा हूं जल्दी, जल्दी ही आऊंगा…
पुराने घर का आंगन
आपके हाथ का खाना
आप और पिताजी के साथ समय बिताऊंगा…
तिथि, दिन, वार, महीने में
और धीरे धीरे महीने
सालों में तब्दील हो गए …
घर की दीवारें ही नहीं
बगीचे में रोपे बीज
पौधे भी, फलदार वृक्ष हो गए…
एक एक कर बिछुड़ते
दादी बाबा, बड़े बुजुर्ग
घर की शोभा बढ़ाते सामान हो गए…
गांव से शहर
फिर दूसरा राज्य और
अब सरहदों के पार,दूसरा देश …
समय ही नहीं
दूरी भी सीमाएं लांघ रही है
कमाने की चाहत है
या है, जरूरतें पूरी करने की जरूरत …
और मैं! जरूरतें,
चाहत, जिम्मेदारियों
के बीच खुद को ही, नहीं खोज पा रहा हूं…
__ मनु वाशिष्ठ