Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2024 · 3 min read

यक्ष प्रश्न

युधिष्ठिर अपने भाइयों को ढूँढते ढूँढते थके हारे सरोवर किनारे आ पहुँचे । वे चारों जल की खोज में यहाँ आए थे । युधिष्ठिर ने देखा उनके भाई जो उनका एक मन , एक प्राण हैं, मृतक पड़े है। इस आघात को आत्मसात् करना उनके लिए किसी भी और कष्ट को सहन करने से कठिन था, फिर भी उनके कदम पहले उनके पास जाने की अपेक्षा , अनायास ही जल की ओर बढ़ गए।

जैसे ही युधिष्ठिर ने सरोवर में हाथ डाला, आवाज़ गूंज उठी,
“ ठहरो । मैं यक्ष हूँ । युगों से अपने प्रश्नों के उत्तर ढूँढ रहा हूँ । हर प्यासे को मेरा जल पीने से पहले उतर देने होते हैं , फिर उसे संतुष्टि का अधिकार मिलता है।”
“ कहिए । आपके इस प्रयत्न में मैं अवश्य अपना योगदान दूँगा ।” युधिष्ठिर ने सीधे खड़े होते हुए कहा ।

“ मेरा पहला प्रश्न। है, मनुष्य का पहला प्यार कौन है ? “
“ मनुष्य का पहला प्यार वह स्वयं है यक्ष ।”
“ मनुष्य का दूसरा प्यार क्या है? “
“ मनुष्य का दूसरा प्यार उसके जीवन मूल्य हैं ।”
“ मनुष्य की शक्ति का स्त्रोत क्या है? “
“ मनुष्य की शक्ति का स्त्रोत उसका आत्मविश्वास है ।
“ मनुष्य में सबसे सुंदर क्या है ?
“ उसकी करुणा “

“ मैं तुम्हारे उत्तरों पर मनन करूँगा, परन्तु अब तुम जल पी सकते हो । और मैं तुम्हारे एक भाई को जीवन दान देता हूँ , कहो किसे जीवन दान दूँ ?”

“ सबको यक्ष । समानता ही हमारे प्रेम का आधार है । किसी एक को चुनकर मैं जीवन की अवधारणा को त्याग नहीं सकता । “

यक्ष हंस दिये, “ ठीक है युधिष्ठिर, तुमने मनुष्य होने की गरिमा को इस संकट की घड़ी में भी बनाए रखा, इसलिए मैं तुमसे प्रसन्न हूँ , और तुम्हारे सभी भाइयों को जीवन दान देता हूँ । “

सभी भाई अचानक जाग गए , थके हारे जल पीने के बाद उन्होंने युधिष्ठिर से पूरी कथा सुनी ।

अर्जुन ने कहा, “ भईया , यदि परिवार में सभी समान हैं तो क्या कल जब आप फिर से राजा बनेंगे और आपकी प्रजा आपका परिवार होगी , तो क्या उसमें सब समान होंगे ? “

“ हाँ अर्जुन, राज्य को बनाए रखने में सबका योगदान आवश्यक है, इसलिए सभी समान हैं। इतना ही क्यों पशु पक्षी , पेड़ पौधे , इस वातावरण को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं, इसलिए उन्हें भी समानता का अधिकार है, इसलिए प्रकृति से मैं उतना ही लेना चाहता हूँ जितना मेरे जीवन यापन के लिए आवश्यक है।

कुछ रूक कर उन्होंने फिर कहा, “ यह मैं यहाँ वन में आकर समझा , हमारी कुटिया पर चढ़ आई बेल का यदि जीवन का अधिकार हमारे तुम्हारे जैसा है , तो वह हमारे समान है , कम या अधिक नहीं । प्रकृति के मूल में है , जिजीविषा, उसके केवल रूप भिन्न हैं ।”

सहदेव ने कहा, यदि हम ऐसा सोचें तो हमारे वनवास के दिन भी कितने सहज सरल हो जाते हैं ।”

यह सुनकर सबके चेहरे पर एक मुस्कराहट उभर आई, और उनके कदमों की गति अनायास ही बड़ गई ।

—-शशि महाजन

Sent from my iPhone

69 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तन्हाई में अपनी
तन्हाई में अपनी
हिमांशु Kulshrestha
मानव जीवन की बन यह पहचान
मानव जीवन की बन यह पहचान
भरत कुमार सोलंकी
बहुत गहरी थी रात
बहुत गहरी थी रात
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
कहते हैं तुम्हें ही जीने का सलीका नहीं है,
कहते हैं तुम्हें ही जीने का सलीका नहीं है,
manjula chauhan
देश में क्या हो रहा है?
देश में क्या हो रहा है?
Acharya Rama Nand Mandal
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुझे देखने को करता है मन
तुझे देखने को करता है मन
Rituraj shivem verma
🙅पहचान🙅
🙅पहचान🙅
*प्रणय*
शांत नगरिया राम की, रामनगर है नाम।
शांत नगरिया राम की, रामनगर है नाम।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जय श्रीराम
जय श्रीराम
Pratibha Pandey
ये उम्र भर का मुसाफ़त है, दिल बड़ा रखना,
ये उम्र भर का मुसाफ़त है, दिल बड़ा रखना,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
3151.*पूर्णिका*
3151.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वो नींदें उड़ाकर दगा कर रहे हैं।
वो नींदें उड़ाकर दगा कर रहे हैं।
Phool gufran
जिंदगी मैं हूं, मुझ पर यकीं मत करो
जिंदगी मैं हूं, मुझ पर यकीं मत करो
Shiva Awasthi
हिंदी
हिंदी
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
ना आसमान सरकेगा ना जमीन खिसकेगी।
ना आसमान सरकेगा ना जमीन खिसकेगी।
Lokesh Sharma
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
Mohan Pandey
गीता मर्मज्ञ श्री दीनानाथ दिनेश जी
गीता मर्मज्ञ श्री दीनानाथ दिनेश जी
Ravi Prakash
25. *पलभर में*
25. *पलभर में*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
रामायण सार 👏
रामायण सार 👏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
रामचरितमानस और गीता गाएंगे
रामचरितमानस और गीता गाएंगे
राधेश्याम "रागी"
"अन्तर"
Dr. Kishan tandon kranti
25- 🌸-तलाश 🌸
25- 🌸-तलाश 🌸
Mahima shukla
साथ था
साथ था
SHAMA PARVEEN
आभासी दुनिया में सबके बारे में इक आभास है,
आभासी दुनिया में सबके बारे में इक आभास है,
Ajit Kumar "Karn"
उधार का ज्ञान - रविकेश झा
उधार का ज्ञान - रविकेश झा
Ravikesh Jha
काहे का अभिमान
काहे का अभिमान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
ओनिका सेतिया 'अनु '
डीएनए की गवाही
डीएनए की गवाही
अभिनव अदम्य
धूल-मिट्टी
धूल-मिट्टी
Lovi Mishra
Loading...