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29 Jul 2024 · 1 min read

यक़ीनन खंडहर हूँ आज,

यक़ीनन खंडहर हूँ आज,
लेकिन फ़ख्र है ख़ुद पे।
नहीं है दफ़्न कोई भी,
मिरी बुनियाद के नीचे।।

👌प्रणय प्रभात👌

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