यक़ीनन खंडहर हूँ आज, यक़ीनन खंडहर हूँ आज, लेकिन फ़ख्र है ख़ुद पे। नहीं है दफ़्न कोई भी, मिरी बुनियाद के नीचे।। 👌प्रणय प्रभात👌