मज़हब-ए-नफ़रत
मज़हब ने हमें बाँट कर तन्हा बना दिया,
पैदा हुए थे इंसान पर शैतान बना दिया।
धर्म के जो नाम पर हैं कत्ल कर रहे,
उसी धर्म ने उन्हें हैवान बना दिया।।
**************************************
सारे जहान के मालिक को बचाने ये चले हैं,
भगवान और रहमान को बसाने ये चले हैं।
ये दिल भी तो घर है तेरे इष्टदेव का,
एक घर बनाने दूजा मिटाने ये चले हैं।।
**************************************
आओ … मानवता की नई मिसाल बनाते हैं,
धरती को प्रेम स्नेह के काबिल बनाते हैं।
काशी काबा जेरूसलम का हो जहाँ संगम,
सर्वधर्मसमभाव … ऐसा धराधाम बनाते हैं।।
??????????????
✍️✍️✍️✍️✍️ by :
? Mahesh Ojha
? 8707852303
? maheshojha24380@gmail.com