म्हारा देवर रो है ब्याव
म्हारा देवर रो है ब्याव, आज मनैं नाचण द्यो।
नाचण द्यो, नाचण द्यो भरतार, जीभर मनैं नाचण द्यो।।
म्हारो देवर रो ब्याव है————————–।।
घणो लाड़लो म्हारो देवर, लाड़ो आज बण्यो हैं।
म्हारी देवराणी नैं लाबा, घोड़ी आज चढ्यो हैं।।
खुशी रे दिन आज तैं, खूब बाजा बजणै द्यो।
नाचण द्यो, नाचण द्यो भरतार, जीभर मनैं नाचण द्यो।।
म्हारो देवर रो ब्याव है————————–।।
हळदी- मेहंदी सूं सगळा तैं, रूप निखारो देवर रो।
लगै चांद सो रूप ब्याव मं, म्हारा लाड़ला देवर रो।।
म्हारा हिवड़ा मं नाचै मोर, डीजे तैं तेज बजणै द्यो।
नाचण द्यो, नाचण द्यो भरतार, जीभर मनैं नाचण द्यो।।
म्हारो देवर रो ब्याव है————————–।।
घणी रूपाळी देवराणी, म्हारा देवर नैं मिली है।
चंदा- चकोरी सी जोड़ी, इन दोनों री खिली है।।
देवर रे लार मनैं भरतार, मनैं आज नाचण द्यो।
नाचण द्यो, नाचण द्यो भरतार, जीभर मनैं नाचण द्यो।।
म्हारो देवर रो ब्याव है————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)