मौहब्बत क्या है? क्या किसी को पाने की चाहत, या फिर पाकर उसे
मौहब्बत क्या है? क्या किसी को पाने की चाहत, या फिर पाकर उसे खो देने का डर, या फिर पाने और खोने से भी ऊपर का रिश्ता। क्या मौहब्बत की कोई सीमित परिभाषा है, या इसे पूर्णतया परिभाषित किया जा सकता है, जबकि सभी वाकिफ़ हैं इसके खुबसूरत एहसास से।
वारिस की बूंदों का मचलकर मिटटी से आलिंगन हो जाना भी तो मौहब्बत है। परिंदो का उड़ना और उनका वापस लौट कर आना मौहब्बत ही तो है। किसी के ख्यालों का एहसास फिर उसमें डूब जाना, दीये की रौशनी मे पतंगे का खुद को फना कर लेना भी तो मौहब्बत है। चिलचिलाती धूप में चूल्हे की दहकती आँच में अपने बच्चे के लिए बनाई गई रोटी की तपन, मौहब्बत है। सही मायने में जिसमें नि:स्वार्थ भाव का एहसास हो, जिसे दिमाग से समझना कठिन हो उसे दिल से समझने का प्रयास करें तो जीवन का सार ही मौहब्बत है।💝💝