मौसम _ने ली अंगड़ाई
सर्द मौसम _ शीतल हवाएं _ घनघोर घटाएं ।
कंपकपाती देह _ बिचोनें से होने लगा नेह ।।
यह सब हुआ है _ तब जबकि _
******मौसम ने अंगड़ाई ली है *********
इस मौसम में निकलना घर से दूभर है ।
फिर भी तो काम अपने करने ज़रूर है ।।
उठना ही पड़ेगा _ आगे तभी तो बड़ेगा ।
सोया रहा तो मंजिल तेरी तुझसे दूर है ।।
यही सोच कर हमनें तो _
कर्म पे आंख गढ़ाई है _ तब जबकि _
******मौसम ने ली अंगड़ाई है **********
राजेश व्यास अनुनय