मौसम….
मौसम….
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मेरे चाहने से कब बदला है मौसम
तेरे कहने पे जो चलता है मौसम
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घुटने – घुटने पानी जब नावें चलती
ठहरा – ठहरा तब तो लगता है मौसम
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नदिया बीच भंवर मेँ फँस कर ये जाना
खुद भी कैसे रह लेता तन्हा मौसम
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एक दूजे की हम पूछ परख क्या रखते
तिरपाल तले हो कुनबा सूखा मौसम
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सालों साल भटका जाने कहाँ कहाँ
कुछ तिलस्मी, फिल्मी गोया मौसम
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर,जोन 1 स्ट्रीट 3 A
दुर्ग छत्तीसगढ़