मौसम बेईमान है आजकल
वो दिखता नहीं जाने क्यों आजकल
थम सा गया है ये जहां आजकल
कटता नहीं है ये वक्त भी उसके बिन
बदहबास रहता हूं मैं भी आजकल
लगता है सबकुछ अधूरा
जाने क्यों मुझको आजकल
खो गया अब सुकून भी मेरा
जबसे वो दिखा नहीं आजकल
सुना है नहीं लगता उसका भी
मेरे बिना मन कहीं आजकल
है अगर उसको भी प्यार मुझसे
वो मिलने आता क्यों नहीं आजकल
बांध ली है उसके दिल की उड़ान
शायद ज़माने ने आजकल
फैली है बसंत बहार चमन में, फिर भी
जाने क्यों मिलने नहीं आती वो आजकल
ज़माना तो कहेगा ही कुछ न कुछ
जो बदले वो, ऐसा कुछ हुआ नहीं आजकल
तुमको ही बदलना पड़ेगा मेरी जान
दोबारा नहीं आएगा समय जो है आजकल
समझो मेरी तड़पन तुम भी
ये मौसम भी है बड़ा बेईमान आजकल
आकर मिटा दो प्यास इस दिल की
जो मिलने को आतुर है तुमसे आजकल।