मौलिक दोहे -4
०१
आज हृदय में जल उठी , बड़ी भयानक आग।
बंद करूँ गृह द्वार अब , रात्रि बिताऊँ जाग।।०१।।
०२
पहले जानो द्वार तुम, तब गृह करो प्रवेश।
सोचो समझो आज का, युक्ति युक्त संदेश।।०२।।
०३
होता पीड़ा से भरा, सदा प्रेम का रोग।
कहता आज प्रताप फिर, मत कर ऐसा योग।।०३।।