मौन मंजिल मिली औ सफ़र मौन है ।
मौन मंजिल मिली औ सफ़र मौन है ।
देख दिन का यहाँ हर पहर मौन है ।
भीड़ आगोश में मूकता के दिखी –
गाँव गलियाँ शहर हर डगर मौन है ।।
✍️ अरविन्द “महम्मदाबादी”
मौन मंजिल मिली औ सफ़र मौन है ।
देख दिन का यहाँ हर पहर मौन है ।
भीड़ आगोश में मूकता के दिखी –
गाँव गलियाँ शहर हर डगर मौन है ।।
✍️ अरविन्द “महम्मदाबादी”