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15 Sep 2023 · 1 min read

मौन मंजिल मिली औ सफ़र मौन है ।

मौन मंजिल मिली औ सफ़र मौन है ।
देख दिन का यहाँ हर पहर मौन है ।
भीड़ आगोश‌ में मूकता के दिखी –
गाँव गलियाँ शहर हर डगर मौन है ।।

✍️ अरविन्द “महम्मदाबादी”

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