मौत मुनासिब नहीं है
मौत मुनासिब नही है (भजन)
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मौत मुझको मुनासिब नहीं है,
मौत की वजह वाजिब नहीं है।
क्या करें अपनों ने ठुकराया,
दर – चौखटों से दूर भगाया,
प्रेम भाग्य में हासिल नहीं है।
मौत की वजह वाजिब नहीं है।
क्रोध-कलह-कलेश ने है मारा,
हम दम हर पल उसी से हारा,
जन हर कोई ग़ालिब नहीं है।
मौत की वजह वाज़िब नही है।
मोह – माया ने जाल बिछाया,
छाया रहता लोभ का साया,
मनसीरत अब काबिल नहीं है।
मौत की वजह वाज़िब नहीं है।
मौत मुझको मुनासिब नहीं है।
मौत की वजह वाजिब नहीं है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)