मौत खुलकर कह गयी…
चल बसा निर्दोष घायल चीख कातर सह गयी.
खून सड़कों पर बहा जब मौत खुलकर कह गयी.
मज़हबी उन्माद घातक लोग डर-डर जी रहे,
एकता आतंक का पर्याय बनकर रह गयी..
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
चल बसा निर्दोष घायल चीख कातर सह गयी.
खून सड़कों पर बहा जब मौत खुलकर कह गयी.
मज़हबी उन्माद घातक लोग डर-डर जी रहे,
एकता आतंक का पर्याय बनकर रह गयी..
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’