Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Oct 2022 · 1 min read

मौत किसी समस्या का

“मौत किसी समस्या का समाधान नहीं, परिस्थितियां कितनी भी बुरी क्यों न हों, ज़िंदगी को जीने के एक नहीं हज़ार मौके दें, कोई भी रिश्ता ज़िंदगी से बड़ कर नहीं होता और ज़बरदस्ती के रिश्ते में ख़ुशी ढूंढना बेवकूफ़ी के अलावा कुछ नहीं, ज़िंदगी अमानत है उस रब की उसे कभी किसी के लिए ज़ाया न करें।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
17 Likes · 653 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
जलते हुए चूल्हों को कब तक अकेले देखेंगे हम,
जलते हुए चूल्हों को कब तक अकेले देखेंगे हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ले चल साजन
ले चल साजन
Lekh Raj Chauhan
'बेटी बचाओ-बेटी पढाओ'
'बेटी बचाओ-बेटी पढाओ'
Bodhisatva kastooriya
दामन जिंदगी का थामे
दामन जिंदगी का थामे
Chitra Bisht
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
जब तक हम जीवित रहते हैं तो हम सबसे डरते हैं
Sonam Puneet Dubey
*
*"श्रद्धा विश्वास रुपिणौ'"*
Shashi kala vyas
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
कवि दीपक बवेजा
#आज_का_आह्वान-
#आज_का_आह्वान-
*प्रणय*
“ भाषा की मृदुलता ”
“ भाषा की मृदुलता ”
DrLakshman Jha Parimal
मेरी खुशी हमेसा भटकती रही
मेरी खुशी हमेसा भटकती रही
Ranjeet kumar patre
मेरी हर कविता में सिर्फ तुम्हरा ही जिक्र है,
मेरी हर कविता में सिर्फ तुम्हरा ही जिक्र है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
Shreedhar
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
Rj Anand Prajapati
संवेदना...2
संवेदना...2
Neeraj Agarwal
प्यार समर्पण माँगता,
प्यार समर्पण माँगता,
sushil sarna
आँशु उसी के सामने बहाना जो आँशु का दर्द समझ सके
आँशु उसी के सामने बहाना जो आँशु का दर्द समझ सके
Rituraj shivem verma
ग़ज़ल _ शरारत जोश में पुरज़ोर।
ग़ज़ल _ शरारत जोश में पुरज़ोर।
Neelofar Khan
क्या लिखूँ....???
क्या लिखूँ....???
Kanchan Khanna
आँखें उदास हैं - बस समय के पूर्णाअस्त की राह ही देखतीं हैं
आँखें उदास हैं - बस समय के पूर्णाअस्त की राह ही देखतीं हैं
Atul "Krishn"
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
Shweta Soni
सियासत जो रियासत खतम करके हम बनाए थे, सियासत से रियासत बनाने
सियासत जो रियासत खतम करके हम बनाए थे, सियासत से रियासत बनाने
Sanjay ' शून्य'
मुस्कुराना सीख लिया !|
मुस्कुराना सीख लिया !|
पूर्वार्थ
तू छीनती है गरीब का निवाला, मैं जल जंगल जमीन का सच्चा रखवाला,
तू छीनती है गरीब का निवाला, मैं जल जंगल जमीन का सच्चा रखवाला,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
3465🌷 *पूर्णिका* 🌷
3465🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
बुंदेली दोहा-नदारौ
बुंदेली दोहा-नदारौ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*दादी बाबा पोता पोती, मिलकर घर कहलाता है (हिंदी गजल)*
*दादी बाबा पोता पोती, मिलकर घर कहलाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
शेखर सिंह
कविता
कविता
Neelam Sharma
"वक्त आ गया है"
Dr. Kishan tandon kranti
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
Shubham Pandey (S P)
Loading...