मौत का फरिश्ता….***
कुछ सहेजना बाकि था,
कुछ पत्थरों पर लिखना था
आंसू की बारिश में अभी भीगना था
आज मत बुलाओ मुझे ,
साथ मुझे अपनों से बिताना था
दरकार एक किताब की थी
चाहत मुझे एक ख्वाब की थी
अभी एक नींद लेने दो
इसीलिए कहता हूं,,
आज मत बुलाओ मुझे,
आशा से निराशा में जाना था
खेल मुझे जमाने का देखना था
एक बारिश में अभी भींगना था
जाओ तुम अभी,
आज मत बुलाओ मुझे।।।।।।