मौत।
रोना ना तुम गर हम अपने घर कफ़न में आएं,
समझ लेना वो सब कुछ जो हम कह ना पाएं।।
मांगीं थी खुदा से चन्द दिनों की और ज़िन्दगी,
पर मुकर्रर है मालिकुल मौत जो वक्त पे आएं।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍
रोना ना तुम गर हम अपने घर कफ़न में आएं,
समझ लेना वो सब कुछ जो हम कह ना पाएं।।
मांगीं थी खुदा से चन्द दिनों की और ज़िन्दगी,
पर मुकर्रर है मालिकुल मौत जो वक्त पे आएं।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍