मोहब्बत है अगर तुमको जिंदगी से
मोहब्बत है अगर तुमको जिंदगी से।
जीना है तुमको अगर जिंदगी को।।
तुमको सहनी पड़ेगी मुसीबतें तो।
पहुँचना है अगर तुमको मंजिल को।।
मोहब्बत है अगर ————————-।।
बहाता है तू आँसू किसकी बेवफाई पर।
गुस्सा है क्यों तुमको अपनी तन्हाई पर।।
नहीं हो तू निराश,यदि कोई साथ नहीं है।
रखना पड़ेगा तुमको, जलाये चिराग को।।
मोहब्बत है अगर ————————-।।
किसी को नहीं तेरी परवाह जब यहाँ पर।
सितम किया है तुमपे, अपनों ने यहाँ पर।।
दर्द क्यों है तुमको, उनके दुःखों पर ऐसे।
भूलना होगा तुमको, अब ऐसे अपनों को।।
मोहब्बत है अगर ————————-।।
मिला नहीं है किसी से, जब तुमको यहाँ प्यार।
करता है क्यों फिर तू , किसी से ऐसे इकरार।।
लुटा नहीं उन पर ऐसे , अपना यह धन अब तू।
होगा अपनाना तुमको भी, ऐसे अब स्वार्थ को।।
मोहब्बत है अगर ————————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)