मोहब्बत ही आजकल कम हैं
तेरी-मेरी अनोखी कहानी बनें।
तु दीवाना मैं दीवानी बनूं।
मोहब्बत ही कम है।
जो तेरे -मेरे संग हैं।
कैसे नई अनोखी कहानी बने
तु दीवाना मैं दीवानी बनूँ।
इश्क के औकात में,
तन के जवानी में ‘
मेरे कहानी में,
तू दीवाने बनें
हर-पल अफसाना बनें।
सुदूर होते अपने से दूर होते अपने।_ डॉ. सीमा कुमारी, बिहार भागलपुर, दिनांक 16-6-022की मौलिक एवं स्वरचित रचना जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।