मोहब्बत का इंतज़ार
कल अचानक हमें
उसकी याद आ गई
दिल में थी जो मेरे
वो बात याद आ गई
मुस्कान चेहरे की उसके
आंखों पर फिर छा गई
दो पल के लिए ज़िंदगी
ये मेरी फिर हसीं हो गई
सोचता हूं गर वो होती
मेरी ज़िंदगी कितनी हसीन होती
साथ होता उसका हमेशा
तो ये सुबह शाम जन्नत सी होती
हर पल उसका इंतज़ार न होता
ज़िंदगी में कोई कमी न होती
अगर वो होती ज़िंदगी में मेरी
ज़िंदगी मेरी यूं तन्हा न होती
गुज़रता है एक एक पल
बड़ी मुश्किल से उसके बिना
लगता है कभी कभी मुझे
ये भी कोई जीना है उसके बिना
फिर सोचता हूं, गर जिंदा रहा
वो कभी तो मिलेगी मुझे
जितनी देर से वो मिलेगी, मिलने की खुशी भी
तो होगी उतनी ज़्यादा मुझे
उसके लिए ही है ये तपस्या मेरी
जाने कब होगी पूरी मुराद मेरी
होगा जब वो हर पल साथ मेरे
अधूरापन छूटेगा ज़िंदगी का मेरी
पहुंचा दो उस तक कोई बात मेरी
समझ जाए अब तो वो भी मोहब्बत मेरी
मेरे रब, जगा दे उसके दिल में ऐसी मोहब्बत
जो मुझसे कहे वो, तुम ही हो मोहब्बत मेरी।