मोहब्बत-ए-सितम
मोहब्बत-ए-सितम
मत कर तकालुफ़ , याद करने की
बस युही देख कर , मुस्कुरा दिया कर |
कहने दे बेबफा जमाने को , महफ़िल में तेरे ,
बस तू गैर बनाकर , यूं नजरें न घुमाया कर |
सह लूँगा जमाने के हर सितम ,तुमको खुश देखकर ,
अपने मुशकुरते चहरे को , यूं परदे के पीछे न छिपाया कर ||