मोहन राकेश के जन्मदिवस पर
कोई चेहरा और चेहरे के पीछे की सादगी हृदय पटल पर ख़ास प्रभाव छोड़ जाती है उसी तरह जैसे काग़ज़ों पर खींची रेखाओं में बोलते किरदार।मोहन राकेश आज 96 के हो जाते वो सामने न सही पर लेखन के सहारे मेरे जीवन में सदा संग रहेंगे।आषाढ़ का एक दिन,लहरों के राजहंस व आधे अधूरे जैसे उत्कृष्ट नाटक हिन्दी साहित्य में बहुत कम हैं उसी तरह जैसे मिसपाल,एक और ज़िन्दगी जैसी कितनी ही कहानियां।मैंने कितना ही साहित्य पढ़ा पर मोहन राकेश ने सबसे अधिक प्रभावित किया यही कारण है कि मैं स्वयं को उम्र की दूसरी पारी में लेखन में इतना अभ्यस्त समझता हूं शायद मेरे लेखन का सर्वप्रथम व सर्वप्रमुख कारण मोहन राकेश ही हैं अन्यथा साहित्य की अमूल्य निधि से यकीनन् वंचित रह जाता••
मनोज शर्मा