मोर
बाल कविता__
दादी बोली मिष्ठी से
उठ जाओ अब जल्दी से
सूरज दादा को करो नमस्कार
छत पर पक्षी कर रहे इंतजार
थोड़ा सा डालो तुम दाना
पानी भी रखकर आना
छत पर नाच रहा है मोर
बिलकुल नहीं मचाना शोर
वरना ये उड़ जाएगा
नजर नहीं फिर आएगा
__ मनु वाशिष्ठ