** मोरों दे बिच **
बैठी मोरों दे बिच गोरी
हाथ में लेके मोर पंख
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सोचन लागी मन में
क्या मोरों दे बिच
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कण्ठों में कंठी
कानो में झुमका
हाथों में है कंगन
मन में है ठुमका
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होठ दबाये होठ चबाये
दांतों तले – दांतों तले
देख तेरा रूप सुनहरा
हाथ कितने लोग मले
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मिलने की मनसा
दिल में उमंग है
पिया मिलन को
दिल – लहर उठे
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पहर उठे
दो-पहर उठे
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धरती के मन में
आशा- आकाशी
बादल बिना ये
मेह है करे
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अपना ये गेह है
नेह है पराया
मोरों दे बिच गोरी
क्या सोचा करें ।।
?मधुप बैरागी