*”मोरनी*”
“मोरनी ‘
सुर संगीत ,
छेड़ दी बाँसुरिया ,
मोरनी नाचे ।
फागुन आया ,
ले बसंत बहार ,
ओढ़ी चुनरी।
कोयल बोले ,
कुहु कुहू कुहू सी ,
मधुर तान ।
आमों में बौर ,
पके हुए से बेर ,
धरा सुहानी।
?? जय श्री राधेय ??